थकान.
टूट थी हदिँदयाँ
बाँध होती आंखे
रुत जगे.
दीमागी बवंडर
कब तक, आखीर कब तक?
तालाश है, एक छाव की
एक टुकडा ज़मीन की
नर्म एक बीस्तर मीले या न मीले
बस कुछ वक्त मील जाता...
काश....
Tuesday, June 17, 2008
Talaash
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थकान.
टूट थी हदिँदयाँ
बाँध होती आंखे
रुत जगे.
दीमागी बवंडर
कब तक, आखीर कब तक?
तालाश है, एक छाव की
एक टुकडा ज़मीन की
नर्म एक बीस्तर मीले या न मीले
बस कुछ वक्त मील जाता...
काश....
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