खरा पानी
छलका छलका
मीठा पानी
टपका टपका
प्यासे कीनारे
उफनती नदी
बाँध तोड़ती
सब बहाती
पीघ्लाते बादल
चमकते,े करकते
काले काले
बीखारती किरने
सुनहरी, रुपहली
आग लगाती
ठंड पहुचाहती
तनहा चाँद
सीमतता सूरज
गरजती खामोशी
चुप सा शोर
सदीयों से...
मैं भी इस पल में
Monday, June 16, 2008
Mujhe Kya Pata ...
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2 Comment:
That was very well written! :)
तनहा चाँद
सीमतता सूरज
गरजती खामोशी
चुप सा शोर
these lines are really awesome !!
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